सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर के बीच अंतर
यदि आपने स्टॉक ब्रोकिंग क्षेत्र में एक बिजनेस शुरू करने का फैसला किया है, तो आपके दिमाग में जो पहला सवाल आएगा, वो यह है कि क्या आपको स्टॉक ब्रोकिंग बिजनेस या सब-ब्रोकर बिजनेस के लिए जाना चाहिए? आपकी वित्तीय क्षमता के अनुसार कौन सा आपको सूट करेगा? दोनों बिजनेस का रेवन्यु क्या है? और सबसे महत्वपूर्ण है, सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर के बीच अंतर क्या है?
हा, इनमे कुछ अंतर हैं।
विचार क्षेत्र | स्टॉक ब्रोकर | सब-ब्रोकर |
अर्थ | एक व्यक्तिगत फर्म जो निवेशकों की ओर से ट्रेड करती है। | एक स्टॉकब्रोकर की ओर से काम करता है। यह ग्राहक और स्टॉक ब्रोकर के बीच की कड़ी है। |
रजिस्ट्रेशन | एक स्टॉकब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज का एक रजिस्टर्ड ट्रेड सदस्य होता है। | एक सब-ब्रोकर को स्टॉकब्रोकर के माध्यम से संबद्धता मिलती है। |
रेवन्यू शेयरिंग रेश्यो | स्टॉकब्रोकर को सब-ब्रोकर द्वारा उत्पन्न ब्रोकरेज का कम प्रतिशत प्राप्त होता है। | ब्रोकरेज का उच्च प्रतिशत प्राप्त होता है। |
ब्रोकरेज | ब्रोकरेज सीधे ग्राहक से वसूल सकते हैं। | ब्रोकरेज का केवल एक हिस्सा मिलता है। ग्राहक से सीधे शुल्क नहीं ले सकते हैं। |
महत्त्व | उन लोगों के लिए एक अवसर प्रदान करता है जो कम शुरआती निवेश के साथ उद्यमी बनना चाहते हैं। | स्टॉक ब्रोकर के व्यवसाय का विस्तार करने के लिए ग्राहक आधार को बढ़ाने में मदद करता है। |
शुरुवाती निवेश | ज्यादा से ज्यादा शुरुआती निवेश की आवश्यकता है। | कम/शुरुवाती निवेश के बिना भी व्यवसाय मुमकिन है । |
फायदा | व्यापार और निवेश से संबंधित निर्णय लेने में ग्राहकों की सीधे मदद करता है। | सब-ब्रोकर निवेश संबंधी निर्णय लेने में ग्राहकों की मदद करने के लिए मुख्य ब्रोकर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रिसर्च रिपोर्ट, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और तकनीक का उपयोग करते हैं। |
इस लेख में, हम उनके अंतर के विभिन्न बिंदुओं पर विवरण के साथ चर्चा करने जा रहे हैं। इसके अलावा, हम आपकी पूर्ण समझ के लिए एक सब-ब्रोकर और स्टॉक ब्रोकर बिजनेस मॉडल के लाभ और हानि पर चर्चा करेंगे।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर के बीच अंतर:
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर का मतलब क्या है:
सब-ब्रोकर मुख्य ब्रोकर और ग्राहकों / निवेशकों के बीच एक एजेंट के रूप में कार्य करता है। वे अधिक ब्रोकरेज उत्पन्न करने के लिए और ग्राहक आधार को मजबूत बनाने के लिए अधिक ग्राहकों को जोड़ते हैं। उन्हें अपने ग्राहकों द्वारा उत्पन्न ब्रोकरेज का एक हिस्सा मिलता है।
स्टॉक ब्रोकर एक स्टॉक एक्सचेंज का रजिस्टर्ड ट्रेडिंग सदस्य होता है जो एनएसई और बीएसई है। स्टॉकब्रोकर फुल-सर्विस स्टॉकब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर दो प्रकार के होते हैं।
वे अपने बिजनेस का विस्तार करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यापारिक साझेदारों जैसे सब-ब्रोकर, एपी, रिमिसियर को आकर्षित करते हैं।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर के बीच रजिस्ट्रेशन का क्या अंतर है :
सब-ब्रोकर को प्रतिभूतियों के साथ काम करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र चाहिए।
अब, सेबी ने बाजार के मध्यस्थ सब-ब्रोकर को बंद कर दिया है। अब रजिस्टर्ड व्यक्ति को ‘अधिकृत व्यक्ति’ के पास स्थानांतरित करना आवश्यक है। हालांकि, सब-ब्रोकर और अधिकृत व्यक्ति दोनों के व्यावहारिक व्यवसाय संचालन बिल्कुल समान हैं। यह सिर्फ रजिस्टर्ड करने वाली पार्टी है जो बदल गई है।
एनएसई या बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक स्टॉक ब्रोकर की आवश्यकता होती है।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉकब्रोकर रेवन्यू शेयरिंग रेश्यो के बीच का अंतर:
एक सब-ब्रोकर ब्रोकरेज उत्पन्न करने के लिए सबसे मुश्किल काम करता है, जो कि ग्राहकों को जोड़ना और उन्हें कंपनी के साथ लंबे समय तक जोडे रखना होता है, इसलिए उन्हें उन ग्राहकों के जरिए उत्पन्न रेवेन्यू का ज्यादा प्रतिशत मिलता है।
एक स्टॉक ब्रोकर मुख्य ब्रोकर होता है जो एक सब-ब्रोकर को अपने ब्रांड नाम के तहत काम करने की अनुमति देता है। इस प्रतियोगी बाजार में अपने व्यापार को बढ़ाने और करने के लिए सब-ब्रोकर को सभी तरह की सहायता प्रदान करता है।
उन्हें सब-ब्रोकर के ग्राहकों द्वारा उत्पन्न रेवन्यू का एक छोटा प्रतिशत प्राप्त होता है। चूंकि एक स्टॉकब्रोकर के पास सैकड़ों सब-ब्रोकर और उनसे जुड़ी फ्रेंचाइजी होती हैं, जिससे , उनका कुल रेवन्यू कई गुना हो जाता है।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉक ब्रोकर शुरआती निवेश :
एक सब-ब्रोकर इस व्यवसाय को कम निवेश के साथ शुरू कर सकता है। यह आम तौर पर 50,000 रुपये से लेकर 3,00,000 रुपये तक होता है। यह थोड़ा कम या उच्च भी हो सकता है। कुछ स्टॉकब्रोकर शून्य लागत बिजनेस भी पेश करते हैं।
एक स्टॉकब्रोकर को स्टॉकब्रोकिंग व्यवसाय शुरू करने के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होती है। और यह समझ में आता है क्योंकि ऐसे कई क्षेत्र हैं जैसे कि प्रशासन, मार्केटिंग, बिक्री, सर्विसिंग, मानव संसाधन, रिसर्च आदि जिनके लिए आपको पूंजी की आवश्यकता है।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉक ब्रोकर ब्रोकरेज :
सब-ब्रोकर को सीधे ग्राहकों से ब्रोकरेज लेने की अनुमति नहीं है। ब्रोकरेज मुख्य ब्रोकर द्वारा चार्ज किया जाएगा और उन्हें केवल उसी का हिस्सा मिलेगा।
एक स्टॉकब्रोकर सीधे सभी ग्राहकों से ब्रोकरेज ले सकता है और उन्हें व्यापार भागीदारों को केवल रेवन्यू के एक सहमत प्रतिशत का भुगतान करने की आवश्यकता होती है।
इनमें से अधिकांश लेनदेन ऑनलाइन होते हैं हैं और इस प्रकार, स्टॉक ब्रोकर को ये भुगतान उसके खाते में मिल जाता है और फिर ब्रोकरेज को साझा महीने के अंत में सभी अपेक्षित गणनाओं के बाद किया जाता है।
सब-ब्रोकर बनाम स्टॉक ब्रोकर महत्व :
सब-ब्रोकर मुख्य ब्रोकर के व्यापार विस्तार में मदद करते हैं। सब-ब्रोकर के माध्यम से, स्टॉकब्रोकर के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपने नेटवर्क का विस्तार करना आसान हो जाता है।
एक स्टॉकब्रोकर वित्तीय बाजार के नए खिलाड़ियों के लिए एक अवसर प्रदान करता है जो इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। और कम या बिना निवेश के अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।
इसके अलावा, सब-ब्रोकर को कंपनी के सभी महत्वपूर्ण व्यापारिक और निवेश संबंधी उपकरणों और तकनीक, रिसर्च रिपोर्ट तक पहुंचने का अधिकार है। इसके जरिए वे ग्राहकों को सही ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं।
एक स्टॉकब्रोकर विभिन्न साधनों के माध्यम से ग्राहकों की सीधे मदद कर सकता है, क्योंकि उनके पास सभी साधन उपलब्ध होते हैं।
सब-ब्रोकर के फायदे और नुकसान :
फायदे
यहाँ एक सब-ब्रोकर बिजनेस स्थापित करने की कुछ सकारात्मक पहलुओं पर एक त्वरित नज़र डालते है:
- एक ब्रांड के तहत काम करने का अवसर जो आपको कंपनी के लिए अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में मदद करेगा।
- आपको एक धन प्रबंधक और कंपनी से रिसर्च टीम मिलती है जो आपके ग्राहकों के धन का प्रबंधन करती हैं।
- वे ट्रेडिंग और निवेश के उद्देश्यों के लिए मुख्य ब्रोकर द्वारा उपयोग की जाने वाली हर चीज का उपयोग कर सकते हैं।
- सब-ब्रोकरशिप शुरू करने के लिए कम शुरआती निवेश की आवश्यकता होती है।
- कम निवेश के साथ ब्रोकरेज का एक आकर्षक हिस्सा मिलता है।
नुकसान:
इस बिजनेस मॉडल में कुछ नुकसान भी हैं:
- सब-ब्रोकर अपने ग्राहकों के माध्यम से उत्पन्न पूरे ब्रोकरेज को प्राप्त नहीं कर सकता है।
- वे मुख्य ब्रोकर के तहत काम करने वाले हैं। वे अपने नियम और विनियमों को लागू नहीं कर सकते हैं।
स्टॉकब्रोकर के फायदे और नुकसान :
फायदे
स्टॉकब्रोकर बिजनेस में आगे बढ़ते हुए, ये वे लाभ हैं जो आप इस मॉडल पर काम करते समय उठा सकते हैं:
- यह वित्त के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कैरियरो में से एक हैं।
- व्यापार के विभिन्न मॉडलों जैसे सब-ब्रोकर, रिमिसियर, फ्रैंचाइज़ी, मास्टर फ्रैंचाइज़ी आदि के माध्यम से अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकते हैं।
- यदि ट्रेड का समय सही है, उपकरण और तकनीक नवीनतम है, उच्च अनुभवी रिसर्च टीम है तो ब्रोकर इस व्यवसाय के माध्यम से उच्च कमीशन कमा सकते हैं।
नुकसान:
इस मॉडल के साथ भी चिंता के कुछ मुद्दे हैं । जो यहाँ सूचीबद्ध हैं:
- स्टॉक ब्रोकर रेवन्यू हिस्सेदारी के निचले हिस्से को प्राप्त करता है, क्योंकि अधिकांश जिम्मेदारी सब-ब्रोकर द्वारा ली जाती है।
- सफलता प्राप्त करने के लिए उच्च बाजार ज्ञान आवश्यक है।
- सब ब्रोकरशिप की तुलना में यह अत्यधिक महंगा व्यवसाय है।
निष्कर्ष :
स्टॉक ब्रोकर और सब-ब्रोकर दोनों स्टॉक मार्केट में उपयोग किए जाने वाले दो अलग-अलग शब्द हैं। हालांकि दोनों का कार्य समान है, लेकिन इनमे कुछ अंतर भी हैं। एक निवेशक के रूप में, आपको सही निर्णय लेने के लिए दोनों के बीच के अंतर को जानना चाहिए।
यदि आप एक सब-ब्रोकर या स्टॉक ब्रोकर बनना चाहते हैं, तो हम अगले चरण को आगे बढ़ाने में आपकी सहायता करेंगे:
सब-ब्रोकर के बारे में अधिक जानें:
यदि आप सब-ब्रोकर के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यहां आपके लिए कुछ संदर्भ दिए गए हैं: